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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 11 
थानेदार मंगल सिंह ने पूरे घर की तलाशी ले ली थी । लाश की शिनाख्त मृतक राहुल की पत्नी रीमा ने कर ली थी । सभी संदिग्ध वस्तुओं को जब्त कर लिया गया था । तार पर सक्षम के  सूखते वस्त्र , धब्बे वाली बैडशीट , राहुल का आधार कार्ड, अक्षत के कमरे से मिले अनुपमा के अंगवस्त्र, पेन्टिंग्स का एल्बम, अनुपमा का चोरी हुआ पर्स और मोबाइल आदि सभी सामान सीलबंद कर दिया गया । फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट का भी काम पूरा हो गया था और हर एंगल से लाश और घर की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी हो चुकी थी । अब लाश का पोस्टमार्टम कराना शेष रह गया था । अस्पताल की ऐंबुलेंस तैयार खड़ी थी । मंगल सिंह ने उसमें राहुल की लाश को भिजवा दिया और एक अधिकारी को उसका पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से करवाने के लिए ऐंबुलेंस के साथ भेज दिया । 

अनुपमा और सक्षम को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त सबूत थे इसलिए मंगल सिंह ने सक्षम और अनुपमा को हिरासत में ले लिया और उनसे पूछताछ करने लगा । सक्षम और अनुपमा दोनों ही कहते रहे कि वे उस रात घर पर नहीं थे इसलिए उन्हें उस कत्ल के बारे में कुछ नहीं पता पर मंगल सिंह इस बात को मानने के लिए कतई तैयार नहीं था । उसका मानना था कि कत्ल इन्हीं तीनों व्यक्तियों ने मिलकर किया है और खुद को बचाने के लिए ये लोग बाहर होने का बहाना कर रहे हैं । मंगल सिंह ने उनकी कोई दलील नहीं सुनी और उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया । 

हिरासत में लेने के बाद मंगल सिंह ने उन दोनों को जिला एवं सत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया और उन दोनों की पंद्रह दिन की पुलिस रिमांड की मांग की जिससे उन्हें मौके पर ले जाकर सीन रिक्रियेट किया जाये और मामले की तह तक पहुंचा जाए । लेकिन कोर्ट ने उभय पक्ष को सुनकर केवल सात दिनों की ही पुलिस रिमांड स्वीकृत की । इन सात दिनों में जांच के नाम पर मंगल सिंह ने अपने समस्त पैंतरे आजमा लिये पर दोनों जने अंत तक यही कहते रहे कि जब वे वहां पर थे ही नहीं तो वे कत्ल कैसे करेंगे ? मंगल सिंह यह मानकर चलता था कि हर अपराधी सजा से बचने के लिए कोई भी झूठ बोल देता है । ये लोग पढे लिखे हैं , प्रभावशाली हैं और सक्षम भी हैं इसलिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं । जब दृश्यम फिल्म का नायक बहुत कम पढ़ा लिखा होकर भी पुलिस की आला अधिकारी को चकमा दे सकता है तो ये तो शातिर लोग हैं । इनके लिए साक्ष्यों को नष्ट करना और फर्जी साक्ष्य गढना कौन सी बड़ी बात है ? अब प्रश्न यह है कि झूठ कौन बोल रहा है ? सच का देवता कौन है ? ये सारी बातें तो भगवान ही जाने पर मंगल सिंह का अटल विश्वास था कि यह खून इन सबने मिलकर ही किया है । बस इसे कोर्ट में सिद्ध करना भर रह गया है । 

तीनों आरोपियों में से अक्षत ही नहीं मिला था अभी तक । बाकी दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था । अक्षत इस कांड का प्रमुख अभियुक्त था । उसके बिना जांच आगे कैसे बढती  ? इसलिये उससे पूछताछ करना बहुत आवश्यक था और उसके "सीमन" का सैंपल भी लेना था । उसे ढूंढने के सारे प्रयास कर लिए पर वे बेकार गये । अपने सारे संसाधन केवल अक्षत को ढूंढने में लगा दिए थे मंगल सिंह ने । कहते हैं कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है । आखिर मंगल सिंह की मेहनत रंग लाई और उसने एक दिन अक्षत को ढूंढ ही लिया । उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया । सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि अक्षत के 'सीमन' की जांच करनी थी । केस की थ्योरी इसी तथ्य पर टिकी हुई थी कि अक्षत और अनुपमा के बीच नाजायज संबंध थे और उस रात उन दोनों ने "सेक्स" किया था जिसका सबूत वह बैडशीटथी । सेक्स सक्षम ने किया या अक्षत ने इसी बात की जांच करने के लिए सक्षम और अक्षत के वीर्य की जांच करवाई गई थी । इस जांच की रिपोर्ट से ही सब कुछ क्लीयर होना था । इसी रिपोर्ट पर मंगल सिंह की थ्योरी और यह केस टिका हुआ था । 

बैडशीट पर मिले "स्वाब" की जांच रिपोर्ट आ गई थी । बैडशीट पर गिरे "स्वाब" के धब्बे अक्षत के वीर्य के पाए गये । जैसे ही यह रिपोर्ट आई , मंगल सिंह की बांछें खिल गईं । उसकी थ्योरी सही निकली थी । उसने समस्त तथ्य डी जे कोर्ट में प्रस्तुत किये जिनके आधार पर उन तीनों की जमानत रद्द हो गई  । यद्यपि उन्होंने इस निर्णय के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील भी की थी लेकिन अक्षत के वीर्य की रिपोर्ट सब तथ्यों पर भारी पड़ी और इसी तथ्य के आधार पर सक्षम, अक्षत और अनुपमा की जमानत हाईकोर्ट में भी खारिज हो गई । 

अनुपमा, सक्षम और अक्षत पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा । उनकी समस्त आशाऐं निराशा में बदल गई थीं । उनका आशियाना उजड़ गया था । उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उन्हें जेल की रोटी खानी पड़ेंगी । उन्हें पता नहीं था कि जेल की रोटी का स्वाद कैसा होता है ? उन्हें ही क्या किसी को भी पता नहीं होता है जेल की रोटियों का स्वाद । जो भी आदमी जेल जाता है बस वही चख पाता है । कौन चखना चाहता है जेल की रोटियों का स्वाद ? जिनके नसीब और कर्म खराब हों उन्हीं को खानी पड़ती हैं जेल की रोटियां । एक कहावत है कि जाके फटी नहीं बिवाई वो क्या जाने पीर पराई । जेल की रोटी के बारे में भी यही अनुभव होता है । जब तक जेल जाने का "सौभाग्य" किसी को नसीब नहीं होता है तब तक उसे जेल की रोटी का स्वाद भी पता नहीं चलता है । कहते हैं कि जेल की रोटियों में नमक नहीं होता । दाल में सिर्फ पानी ही होता है, दाल ढूंढनी पड़ती है उसमें । जिसने भी जेल की रोटियां खा लीं समझो उसका जीवन सफल हो गया । 

इस केस में कौन दोषी है और कौन निर्दोष यह तो कोर्ट के फैसले से ही पता चलेगा । कोर्ट का फैसला इतनी जल्दी थोड़े ना आता है ? सालों लग जाते हैं इसमें । एक पीढी ही खत्म हो जाती है न्याय का इंतजारकरते करते । इस देश की न्याय व्यवस्था इतनी "शानदार" है कि खुद कोर्ट बलात्कार पीड़िता को बलात्कारी से शादी करने को कह देती है । नाबालिग से बलात्कार और उसकी हत्या करने वाले को यह कहकर छोड़ देती है कि "प्रत्येक अपराधी का भी एक भविष्य होता है" और उसका भविष्य संवारने के लिए कोर्ट उसे बरी कर देती है । 

न्याय की "चाल" बड़ी निराली है । सबने बचपन में खरगोश और कछुआ की दौड़ वाली कहानी तो सुनी थी पर आजकल एक कहानी और बहुत प्रसिद्ध हो रही है कि यदि न्याय और कछुए में दौड़ हो तो कौन जीतेगा ? लोगों को इस प्रतियोगिता का परिणाम पहले से ही पता है । इस तरह की न्याय व्यवस्था में न्याय की अपेक्षा करना बालू से तेल निकालने जैसा ही है । राहुल के कत्ल के केस में इतने पुख्ता सबूत थे कि इन तीनों आरोपियों को हाईकोर्ट ने जमानत देने से मना कर दिया । उनकी समस्त आशाऐं धूमिल हो गयीं । 

शेष अगले अंक में 

श्री हरि 
11.6.23 



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4 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 10:16 AM

Nice one

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jul-2023 09:41 AM

🙏🙏🙏

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Hari Shanker Goyal "Hari"

12-Jun-2023 08:01 AM

🙏🙏

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वानी

12-Jun-2023 04:47 AM

Nixe

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